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![Awaaz - Hindi Poem on communal voilence Awaaz - A Hindi poem on communal voilence by Parag
यह कविता कुछ कहती है...](https://paragpallavsingh.files.wordpress.com/2020/04/photo6325816099601492301.jpg?w=300)
Everyone has a voice
आवाज़
क्या कह रही है ये आवाज
आवाज़ रेडियो या टीवी से लगातार आती ख़बरों की
या सड़क पर हो रही घातक भाग-दौड़ की
आवाज एक पुराने किस्से के नए रूप की
या फिर किस खौफ के शक से बदलते सुलूक की
आवाज उस लड़के की जो किसी हक़ की मांग में है
या फिर उसकी जो अनजान है सिर्फ हुज़ूम में है
आवाज़ उन आज़ादी के नारों की गूँज की
या फिर किसी कौम की कब्र खोदने की
जलती हुई बसों के सुलगने की आवाज
पेट्रोल या पानी की गुत्थी सलझाने की आवाज
अचानक से किसी मौत की खबर की आवाज
और उसी तथ्य को नकारती हुई एक आवाज़
इन सब में कहीं दबी है तो सिर्फ और सिर्फ
एक असली आवाज़
आवाज़ इस मुल्क की मिट्टी की
आवाज़ संविधान में विश्वास की
जो सवाल कर रही है
रुको , थम जाओ
“मुझे ही बर्बाद कर दोगे तो फिर रहोगे कहाँ ?”
और माँग रही है एक बीच का रास्ता
एक सुलह की आवाज़
इस माहौल में सुन पा रहा है क्या कोई
“मेरे देश की आवाज़ “????
©पराग पल्लव सिंह